सरकार को विकलांगता सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया आसान बनाने चाहिए ।
आजादी के 67 वर्षो के पश्चात सरकार सिर्फ 40 फीसदी विकलांग को सर्टिफिकेट दिया है। जबकि देश की राजधानी दिल्ली मे यह आंकड़ा सिर्फ 21 फीसदी है। 2011 के जनगणना के अनुसार देश मे 2.68 करोड़ विकलांग है जिनमें से महज 1.05 करोड़ लोगों को विकलांगता का सर्टिफिकेट हासिल है। देश में विकलांगों के लिए सरकार ने कई नीतियां बनायी है। उन्हें सरकारी नौकरियों, अस्पताल, रेल, बस सभी जगह आरक्षण प्राप्त है। साथ ही विकलांगो के लिए सरकार ने पेशन की योजना भी शुरु की है। लेकिन ये सभी सरकारी योजनाएं उन विकलांगों के लिए महज एक मजाक बनकर रह गयी हैं। जब इनके पास इन सुविधाओं को हासिल करने के लिए विकलांगता का सर्टिफिकेट ही नहीं है।
विकलांगता का सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए आपको 90 फीसदी विकलांग होने का सर्टिफिकेट डॉक्टर से हासिल करना होता है। इसके बाद ही आपको सरकारी विकलांगता का सर्टिफिकेट मिल सकता है। लेकिन विकलांगों को कई मामलों में डॉक्टर 70 या 80 फीसदी ही विकलांग करार देते हैं जिसके चलते वह सरकारी सुविधायें पाने से महरूम हो जाते हैं।
राज्य सरकारो को भी तमिलनाडु और त्रिपुरा जैसे राज्यो से सिख लेना चाहिए, जहाँ यह प्रतिशत क्रमश 84 व 97 फीसदी है।
- धर्मेन्द्र कुमार, पीपल फर्स्ट फाउंडेशन
Saturday 21 November 2015
सरकार को विकलांगता सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया आसान बनाने चाहिए।
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